Health : जसलोक अस्पताल में बैठने वाले डॉक्टर जितेंद्र सिन्हा के अनुसार ,कम उम्र में बाल का सफेद हो जाने का सीधा सम्बन्ध तनाव से होता है। तनाव का मतलब है कि लक्ष्य को पाने में असफलता या आंशिक रूकावट के कारण दिमाग की स्थिति।ऐसी मनोस्थति में शरीर अधिक से अधिक कार्टिसोल हार्मोन पैदा करने लगता है जो उन कोशिकाओं को ध्वस्त करने लगता है जो हमारे बालों के रंग और चेहरे के सौन्दर्य को बनाए रखता है। तनाव बढ़ने से शरीर की कोशिकाएं सीडीके नाम के गैर जरूरी प्रोटिन पैदा करने लगती है जो पिगमेंट मेलेनिन को बर्बाद कर देता है।यही मेलानिन बालों का रंग काला रखता है।
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तनाव की इतनी बड़ी भूमिका का मतलब यह नहीं कि तनाव रहित जिंदगी बिताकर हम ७० साल के उम्र मे भी बाल का रंग काला रख सकते हैं। बालों को काला रखने वाला पिगमेंट मेलानिन के कम होने के प्राकृतिक कारण भी होते हैं। २०-३० वर्ष के बीच यह अधिकत्म होता है। उम्र बढ़ने के साथ कम होना शुरू हो जाता है और बालो की चमक और रंग घटने लगता है।
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क्या सफेद बालो को दवा खाकर फिर से काला किया जा सकता है? उम्र के साथ यदि मेलेनिन पिगमेंट घट रहा तो उसे फिर से बढ़ाया जाना असम्भव है। उम्र से पहले बाल सफेद हो रहे हों तो अच्छी नींद,आयरन की गोली, विटामिन बी६ ,बी १२और विटामिन सी लेकर बाल के सफेद होने की गति को धीमा किया जा सकता है।नारियल और सरसों में कौन सा तेल बालों के लिए अच्छा है? तेल का काम सिर के उपर की चमड़ी (स्कैल्प) को रिलैक्स करना होता है। तेल का बालों से कोई लेना-देना नहीं है। हां।अधिक मात्रा में या रोज मालिश करने से बाल जरूर गिरने लगते हैं।तेल के चिप चिपाहट को १से ६ घंटे के अंदर शैम्पू से धोकर हटा लेना चाहिए। लम्बे समय तक गिला या चिपचिपा रखने से बाल टुटने लगते हैं।यदि बाल लम्बे हो तो स्नान के तुरंत बाद ड्रायर से तुरंत सुखा लेने से बाल नहीं टुटते।तेल लगाने से घनघोर काले और लम्बे बाल केवल विज्ञापन में देखा जा सकता है।विज्ञान में नहीं।
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